4.12.08

मुंबई २६/११

आगये आगये आतंगवादी आगये
मर गए मर गए हाय हम मर गए
२६/११ को नही मरे
मरे तो तब थे जब १९४७ में देश के दो हिस्से हुए थे
अरे मरे थो तब थे जब पाकिस्तान बना था
मर तो बहुत पहले ही गए थे
अभी तो केवल जान निकली है
बहुत सीधी सी बात है पाकिस्तान के साथ
हमारे सम्बन्ध कभी भी नही बन सकते हैं
वो देश ही नही है
वो तो एक नासूर है
जिसको काट के फेंक ही देना चाइये
हमारे यंहा के नेता
माँ का दूध भूल चुके हैं
इतना तो कर सकते हैं
उन पाकिस्तानियों को चढी का दूध तो याद दिला सकते हैं
रोज़ रोज़ ५०० सपूतो के मरने से बेहतर है
एक बार लाख मरे
बस एक बार