25.9.11

भ्रस्ताचार्य की हद है

राष्ट्रीय स्वस्थ बीमा योजना- इन्शुरंस कंपनी बटोर रहीं हैं मुनाफा

कानपुर १९ सितम्बर ,केन्द्रिये सर्कार एवं राज्य सर्कार द्वारा पोषित राष्ट्रीय स्वस्थ बीमा योजना में कानपुर नगर सहित प्रदेश के २७ जिले united India insurance को बीमा योजना संचालित करने के लिए इन्सुरांस कंपनी द्वारा तय किये गए प्रीमियम के आधार पर आवंटित किये गए.केन्द्रीय सर्कार की वेब साईट में दिए गए डाटा के अनुसार इन्सुरांस कोप्मन्य को उक्त २७ जिलों में कुल ३७०५४९२ स्मार्ट कार्ड बनाने थे लेकिन उक्त सरकारी कंपनी नें संसाथान के आभाव में कुल स्मार्ट कार्ड के मात्र ३०% यानि ११५२९८२ कार्ड ही बना पाई .विगत वर्ष के स्मार्ट कार्ड धारकों के आधार पर एक नज़र डालने पर पता चलता है की ७०% स्मार्ट कार्ड धारक अपने और अपनें परिवार के इलाज से वंचित रह जायेंगे.

उलेखनिए है मात्र ३०% स्मार्ट कार्ड ही बनाने के वाबजूद उक्त इन्सुरांस कंपनी को तयशुदा प्रीमियम के अनुसार रुपया ५२७०९४५७० का पेमेंट होना है तथा कंपनी का अबतक (१८/०९/२०११) ३२९८९ मरीजों के इलाज के ऊपर रूपया १८४६५४४६४ खर्चा आया है.इस तरह हम देखतें हैं की इन्सुरांस कंपनी को अभी तक कुल रुपया ३४२४४०१०६ का फायेदा हो चूका है और अभी स्मार्ट कार्ड की मियाद मार्च २०१२ तक की है अगर मान लिया जाये की २००० मरीजों का इलाज और हो जाये तो भी कंपनी को रुपया ३०,००००००० तक का मुनाफा होने की संभवअवना है.

इस आकर्षक कमाई के वाबजूद कंपनी नें अपने तरफ से कोई भी नया हॉस्पिटल अनुबंधित नहीं किया और न ही चाहती है.चित्रकूट जिले में तो केवल सरकारी हॉस्पिटल अनुबंदित हैं कोई भी निजी हॉस्पिटल नहीं है तथा अभी तक यंह पर कुल २४ मरीजों का ही इलाज हुआ है .

क्या केन्द्रिये सर्कार की कोई नीति नहीं है की अगर इन्सुरांस कपनी एक तय किये गए प्रतिशत तक स्मार्ट कार्ड नहीं बना पाती है तो उस पर कोई जुरमाना लगाया जाये ? हॉस्पिटल को गलत इलाज करने पर तुरंत उसका अनुबंध निरस्त करे का तो प्रावधान है पर इन्सुरांस कंपनी जब तय शुदा समय तक हॉस्पिटल का पेमेंट नहीं करती है तो क्या कोई प्रावधान है ? क्या नए हॉस्पिटल अनुबंधित करने की कोई नीति है ? उदाहरंस्वरूप जिला फतेपुर में जहानाबाद स्थितएक हॉस्पिटल का अनुबंध विगत २५ जून को united इन्सुरांस कंपनी के साथ हुआ था एवं सॉफ्टवेर के लिए फीस भी ले ली गयी लेकिन उक्त कंपनी ने आज तक उक्त हॉस्पिटल में न तो सॉफ्टवेर इंस्टाल किया और न ही कोई माकूल जवाब दिया उलटे कंपनी के अधिकारी अपने हेड ऑफिस की दुहाई देतें हैं की हमें इजाजत नहीं है कोई भी नए हॉस्पिटल अनुबंदित करने की.इसी तरह के अनेकों उदहारण हैं इन्सुरांस कंपनी के मनमानी के .

सरकारी कंपनी गरीब मरीजों के इन्सुरांस के नाम पर मुनाफाखोरी कर रहीं हैं ज्ञात हो की कुल दे प्रीमियम का २५% राज्य सर्कार को देना होता है रुपया ३० स्मार्ट कार्ड धारक देता है तथा ७५% राशि केन्द्रया सर्कार को इन्सुरांस कंपनी को देना होता है .इस मुनाफाखोरी को रोकने तथा कंपनी के मनमाने काम पर अंकुश लगाने की जिम्मेदारी किसकी है ?राज्य सर्कार की निविदा के शर्त अनुसार प्रदेश में स्थित इन्सुरांस कंपनी के ऑफिस से सारे मह्तव्यपूर्ण निर्णय लियें जायेगे लेकिन united इन्सुरांस कंपनी इस शर्त का पालन नहीं कर रही है.कम से कम कुल प्रीमियम के ८०% का भुगतान क्लैम के रूप में तो होना ही चाहिए लेकिन कंपनी अन्य नए हॉस्पिटल को अनुबंध नहीं कर रही है .निविदा की शर्तानुसार होस्पितालों का पेमेंट २६ दिन में होना चाहिए लेकिन कंपनी ने ५ महीने के बाद भी पेमेंट नहीं किया है .

सुश्री निशा (परिवर्तित नाम ) निवासी किदवई नगर द्वारा जन सुचना अधिकार के तहत मांगी गयी सूचना के उत्तर में उक्त इन्सुरांस कंपनी के लखनऊ ऑफिस ने माना है की उसने कोई भी निजी हॉस्पिटल को अनिमोदित नहीं किया है केवल वही हॉस्पिटल में अपना सॉफ्टवेर इंस्टाल किया है जो विगत वर्ष से अनुमोदित हैं इन्सुरांस कंपनी के अनुसार कुल अनुमोदित निजी हॉस्पिटल ३४८ व् १५१ सरकारी हॉस्पिटल हैं .इन्सुरांस कंपनी की मुताबिक उसने अपने स्मार्ट कार्ड धारकों के लिए उसके द्वारा संचालित जनपदों में चिकिस्सा अथवा अन्य जानकारी देने के लिए कोई भी शिविर का आयोजन नहीं किया है .एक अन्य सुचना के उत्तर में इन्सुंस कंपनी ने माना है की निजी होस्पितालों को अनुमोदित करने की प्रक्रिया प्रभावी भारत सर्कार एवं उत्तर प्रदेश सर्कार के शासनादेशों के अनुरूप है .(जहानाबाद स्तिथ हॉस्पिटल के बारे में ऐसा कंपनी नहीं मान रही है ).

उक्त कंपनी के लखनऊ ऑफिस ने एक सुचना के जवाब में लिखा है की उसको जनपद स्थित जिला बीमा समिति से किसी भी निजी हॉस्पिटल को अनुमोदित करने के लिए कोई भी पत्र या फिर सुचना प्राप्त नहीं हुई न ही कंपनी ने कोई सुचना कभी मांगी .पूछी गयी एक सूचना के अंतर्गत के जवाब में united इन्सुरांस कंपनी ने बताया है की उसके पास कोई भी ऐसा अधिकारी नहीं है जिसे आर.स.बी.य.का पूर्व अनुभव प्राप्त है .

१९/०५/२०११ के शासनादेश जो की सचिव ग्रामविकास श्री मुकुल सिंघल द्वारा जारी हुआ था के अनुसार प्रतेक जनपद में स्मार्ट कार्ड की संख्या के मुताबिक निजी होस्पितालों को इन्सुरांस कंपनी को अनुमोदित करना होगा तथा जो हॉस्पिटल मुख्यालय से काफी दूर स्थित हैं उस स्थान को वरीयता देनी होगी और ऐसा इन्सुरांस कंपनी को ३० दिन के अंदर करना होगा अन्यथा जिला बीमा समिति जिस हॉस्पिटल को अनिमोदित करेगी उस हॉस्पिटल को इन्सुरांस कंपनी को इम्पनेलेद करना होगा .अत:united इन्सुरांस कंपनी ने शासन आदेश का सर्वदा उलंघन किया है उसने कोई भी नए हॉस्पिटल को अनुबंदित नहीं किया .

इन्सुरांस कंपनी ने २७ जनपदों में कुल ११५२९८२ स्मार्ट कार्ड बनाये हैं तथा कुल अनुबंदित हॉस्पिटल हैं ४९९ (सरकारी हॉस्पिटल मिलाके ) यानी की प्रतेयेक हॉस्पिटल में करीब २३१० स्मार्ट कार्ड धारक का अनुपात निकलता है एक स्मार्ट कार्ड में ५ लोगो का नाम होता है यानी की २३१०*५= ११५५३ मरीज हर एक हॉस्पिटल में अपना इलाज करा सकतें है .ये औसत कल्पना से परे है उक्त २७ जनपद में कोई भी ऐसा सरकारी अथवा निजी हॉस्पिटल नहीं है जह्याँ ११५०० मरीज एक साल में अपना इलाज करा सकें .सरकारी कंपनी की ये सोच केवल पैसा कमाने की मालूम होती है.

भारत सर्कार के आदेशानुसार इन्सुरांस कंपनी को हर एक जिले में स्मार्ट कार्ड धारकों की सुविधा के लिए एवं उनकी सहायता के लिए ब्लोक्स्तर पर शिविर के आयोजन करना होगा पर उक्त इन्सुरांस कंपनी ने एक भी शिविर का आयोजन न करके आदेश का उलंखन किया है .

अनुभवहीन अधिकारी को नोडल ऑफिसर बनाना भार्स्ताचार को संभल देना होता है .इतनी महत्वा पूर्ण योजना को बलि देना ही इस कंपनी का काम है इनके यंहां कोई भी अधिकारी नहीं है जिसे उक्त योजना का पूर्व अनुभव प्राप्त हो.