11.9.11

गाँधी बाबा

बात १९४७ की है भारतवर्ष की गैर गांधीवादी जनता के एक संगदन नें ये तय किया की गाँधी बाबा का अपरहण कर लिया जाये और ३१ अगस्त १९४७ को दिन में १ से २ बजे के बीच में गाँधी जी का अपरहण कर लिया गया तथा उनको दिल्ली में जनपथ की एक कोठी में रखा गया .सरकार के होश उड़ गए आनन् फानन में पुलिस ही नहीं वरन फ़ौज को गाँधी जी की खोज में लगा दिया गया .सरकार में कुछ लोगों का मानना था की चायना की सरकार का हात है कुछ लोगों का मानना था की अमेरिका नें ये सब कराया है .पुरे देश में बरी अफरा तफरी मची हुई थी जनता से लेकर सरकार को कुछ समाज में नहीं आ रहा था की क्या करे .पुरे ९ दिन बाद अपरहण कर्ताओं का एक सन्देश प्रधान मंत्री के पास आता है तथा उस सन्देश के मुताबिक उनकी कुछ मागें होती है जिसमें कुछ प्रमुख मांग हैं अस्तु पाकिस्तान का गठन बंद करो ,पूरा देश एक सार में होना चाहिए ,बर्मा जो पूर्व में भारत से अलग हो गया था उसको देश में फिर से मिलाओ ,कांग्रेस को भंग करो ,सरदार पटेल को प्रमुख मंत्री बनाओ,वन्दे मातरम को रास्ट्रीय गीत बनाओ ,आदि मांगे अपरहण कर्ताओं नें मांगी थीं .सरकार में हडकंप मच गया .सरकार सोच में पड़ गयी की यही सब तो गाँधी जी चाहते थे फिर ऐसा क्यूँ कर हुआ की गाँधी जी का अपरहण कर लिया गया .बड़ी परेशानी थी .पुलिस फ़ौज सब लगे थे गाँधी बाबा का पता नहीं लग रहा था .अपरहण कर्ताओं की मांगे मानना असंभव था .तत्कालीन प्रधान मंत्री का हटना संभव नहीं था ,पाकिस्तान ,बर्मा फिर से एक भारत नहीं हो सकते थे ,कांग्रेस को पीढ़ी-दर- पीढ़ी देश में राज करना था ,वन्दे मातरम गीत तो सांप्रदायिक था वो कैसे रास्ट्रीय गीत बन सकता था .अस्तु सरकार ने रसिया की भी मदद मांगी पर कोई फायेदा नहीं मिला .गाँधी बाबा नहीं मिले ,सरकार की इच्हा से बड़े नहीं थे गाँधी जी ।
आज ६० साल के बाद भी गाँधी जी नहीं मिले दिली के जनपथ में कैद हैं हाँ कभी कभी देश में उनकी इस्तमाल की हुई वस्तुएं जैसे की उनकी टोपी ,उनका गाँधी वाद ,उनकी सादकी,उनका सिधहांत,उनका सत्याग्रीय,आदि दिखाई पड़ जाता है लेकिन गाँधी बाबा अब तक नहीं मिले .