जिन्दगी में कुछ खोया कुछ पाया
सोचता हूँ कभी कभी क्या ज्यादा खोया
या फिर ज्यादा पाया
असल में पाया वही जाता है
जो खो जाता है
तो बात इतनी सी है
इन्सान जो खोता है
वही पाता है
क्या आप बता सकते हैं ऐसा कोई इन्सान
जिसने जिन्दगी में केवल पाया हो
खोया कुछ भी नही हो
शायद नही
दुनिया में कोई आज तक पैदा नही हुआ
जिसने कुछ खोया नही हो
तो फिर क्यों डरते हो ,क्यों परेशां होते हो
जब तुम्हारा कुछ खो जाता है
कुछ खो जाता है
कुछ पाने के लिए
खो दो अपना जीवन ,खो दो अपनी आत्मा
परमात्मा को पाने के लिए
4 comments:
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bahut hi sundar likha hai,
aatma ko parmaatma se milane ka sahi nazariyaa......
badhaai,likhte rahe
आत्मा के बारें में आपका सोच अच्छा है
आपने अपने दार्शनिक अंदाज में वही बात कही है जो बहुत से धार्मिक महापुरुष हमें समझाने का प्रयास करते रहे हैं। बात सही है, लेकिन उसे जीवन में उतारने वाले लोगों की कमी है। यदा कदा मतान्तरः एक राजनीतिक ब्लॉग पर भी आते रहें।
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