आज फिर दिल कुछ कह रहा है
फिर से वक़्त के सितम सह रहा है
जिन्दगी हो गई बेजार
फिर भी हर पल जीं रहा है
पाबन्द न हो पाया वक़्त के साथ
फिर भी हर पल इम्तहान ले रहा है
प्यार से जीना चाहा था
फिर भी गम के घूँट पी रहा है
हासिल हुआ नही अब तक कुछ भी
फिर भी हर पल ,पल -पल कुछ ना कुछ खो रहा है
जुनून है,हौसला है,मस्ती है,खुमारी है,बेकरारी है
फिर भी न जाने क्यों ये मन भटक रहा है -----------------------------------
1 comment:
kya batt boli hai maja aa gaya hai
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