29.11.08

पुलिश

मिल गया मुझे कोतवाल
पुछा मैंने कहो कैसे है हाल
बोला बड़ी मायूसी से पूछते हो हाल
हाल तो हैं बड़े बेहाल
घट गए हैं रेट मुस्किल से भर पाता है पेट
चोरी चमारी डकेती डाका -इसमे तो है फाका ही फाका
हाँ गर हो मुजरिम खून का -मिल जाता है आटा दो जून का
अब तो और भी विभाग करने लगे हैं रिश्वत लेने का काम
पुलिश तो है नाम की बदनाम
जब इनका यह हिया हाल
तब हम आम नागरिक का तो आ गया काल

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