29.11.08

इस चौबारे में

क्या रखा है मन्दिर मस्जिद -गुरूद्वारे में
आओ सब यंही तेरे घर के चौबारे मैं
दिया जलता है यंहा हर पहर
बस तो पैदा कर वो नज़र
सोचता क्यूँ है अपने गम के बारे मैं
हर मुस्किल आसान होगी तेरे घर के चौबारे मैं
जो चाहेगा वो पायेगा
मत घबरा आख़िर भाग के कंहा जायेगा
जायेगा कंहा -कंहा सर पटकेगा किस द्वारे मैं
लोट कर आना ही होगा तुझे तेरे घर के चौबारे मैं
तू क्या खोजता है सच बता जो तू खोजता है वो तुझे मिलता है
यह ग्रन्ध यह पोथी कुछ नही है इस नारे मैं
आ तुझे आना ही होगा अपने घर के चौबारे मैं
माँ की ममता बाप का साया जड़ें तेरी यंही है
जीवन का हर सुख तुने यंही से पाया
चमकेगा तू चाहे रौशनी उतनी हो जितनी तारे मैं
एक बार बस आजा तेरे घर के चौबारे मैं
क्यूँ सोचता है तू अकेला है
देख ये देश हवा पशु पक्षी और सबसे बड़ी ये पूरी प्रकृति इन सब का मेला है
फ़िर क्यूँ जाता है मन्दिर -मस्जिद-गुरूद्वारे मैं
सब तेरे अपने हैं बस तू न जा कंही रह अपने घर के चौबारे मैं
यह वही चौबारा है ताकत से जिसकी प्रह्लाद ने हिरन्यकश्यप को मारा है
यह वही चौबारा है अजमेर से हाजी अली ने सवांरा है
यह वही चौबारा है ताकत से आजाद हिंद हमारा हैekta
एकता के पवन सूत्र मैं बंध जायें हम बढे ताकत हमारे मैं
बस एक जुट होना ही होगा हमें इस घर के चौबारे मैं

1 comment:

Anonymous said...

second madhusala
beyond could be say